तंबाकू की तरह इन खाद्य पदार्थों पर भी होनी चाहिए चेतावनी ताकि सेहत से न हो खिलवाड़

तंबाकू की तरह इन खाद्य पदार्थों पर भी होनी चाहिए चेतावनी ताकि सेहत से न हो खिलवाड़

सेहतराग टीम

पर्यावरण क्षेत्र में काम करने वाली संस्था विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) ने जंक फूड के 33 ब्रांडों की जांच की। जिसमे पाया गया कि जंक फूड में प्रस्तावित सीमा से काफी अधिक मात्रा में नमक और फैट की मात्रा है। जो सेहत को नुकसान पहुंचा रही है। इसलिए सीएसई ने यह मांग की है कि तंबाकू उत्पाद की तरह ही सेहत के लिए हानिकारक खाद्य उत्पाद पर भी खतरे का निशान होना चाहिए ताकि इसे खाने वाले लोगों की सेहत से खिलवाड़ न हो। सीएसई ने अपनी लैब रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि अगर डॉमिनोस का एक नॉन वेज सुप्रीम रेगुलर पिज्जा या पिज्जा हट का चिकन सुप्रीम पर्सनल पिज्जा आपने खा लिया तो इसके बाद आपके पूरे दिन का नमक का कोटा पूरा हो गया है। अगर इसके बाद आप खाने में नमक ले रहे हैं तो यह सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।

सीएसई के अनुसार, एक व्यक्ति को पूरे दिन में 2000 किलो कैलोरी की जरूरत होती है, जिसमें नमक की मात्रा 5 ग्राम, फैट 60 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 300 ग्राम और सिर्फ ट्रांसफैट 2.2 ग्राम से अधिक होना चाहिए। उनके अनुसार, चिप्स, नूडल्स, पिज्जा, बर्गर और नमकीन में सबसे अधिक नमक की मात्रा होती है। जुलाई में सीएसई ने इस रिपोर्ट पर काम शुरू किया था। जिसके लिए 33 जंक फूड्स के सैंपल लिए गए। जिनमें विभिन्न ब्रैंड के चिप्स, नमकीन, नूडल्स, सूप, बर्गर, फ्राइज, फ्राइड चिकन, पिज्जा, सैंडविच के 19 सैंपल लिए गए। यह सभी सैंपल फूड चेन और दिल्ली के रिटेल स्टोर और मार्केट आदि से लिए गए।

चिप्स, नूडल्स, पिज्जा, बर्गर और नमकीन में तय मात्रा से दोगुना नमक-

सीएसई लैब के हेड मृणाल मलिक ने बताया कि ट्रांसफैट से दिल की बीमारी सबसे अधिक बढ़ रही हैं। लेकिन स्टडी में सामने आया है कि सभी सैंपलों में कंपनियों ने अपने उत्पादों में ट्रांसफैट के बारे में गलत जानकारियां दी है। इसकी इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। फूड रेगुलेटर एफएसएसएआई ने 100 ग्राम के पैकेट बंद फूड में नमक और फैट की स्वीकृत मात्रा में बदलाव किया है। इस सीमा से अधिक नमक और फैट होने पर पैकेट पर रेड लेबल रहेगा। रेड लेबल होने से बच्चों के खाने की वस्तु के बारे में साफ तौर पर पता होगा।

सीएसई के मुताबिक टू यम मल्टीग्रेन चिप्स के 30 ग्राम के पैकेट में एक ग्राम नमक की मात्रा पाई गई। यह स्नैक्स के तय मानकों से दोगुनी है। इसी तरह नमकीन के हल्दीराम नट क्रैकर्स, इंस्टेंट नूडल्स और सूप में (मैगी और नॉर) भी नमक की मात्रा काफी अधिक पाई गई। बर्गर (मैकडोनॉल्ड्स और बर्गर किंग), पिज्जा (डॉमिनोस और पिज्जा हट) और सैंडविच (सबवे) के सैंपल में भी यह मात्रा काफी अधिक मिली।

स्वाद-सुगंध के लिए प्रयोग करतीं कंपनियां अपने उत्पादों के स्वाद और सुगंध को ज्यादा से ज्यादा आकर्षित बनाने के लिए उसमें नमक, शर्करा और वसा की ज्यादा मात्रा का इस्तेमाल करती हैं। इसके चलते ऐसे उत्पाद खाने में तो चटपटे होते हैं, लेकिन उनसे शरीर को गंभीर और जानलेवा बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। चिली व पेरू में किए गए हैं इस तरह के उपाय सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने बताया कि चिली, पेरू, कनाडा जैसे देशों में खाद्य सामग्री के पैकेट पर इस तरह के निशान लगाने की शुरुआत की गई है। ताकि लोग यह समझ सकें कि वह सामग्री सेहत को कितना नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में लोग खाने के लिए सुरक्षित उत्पादों को चुनाव करते हैं। ऐसी ही व्यवस्था भारत में भी की जानी चाहिए।

 

इसे भी पढ़ें-

भारत के बच्चे क्या खाएं और क्या न खाएं :यूनिसेफ ने दिया सुझाव

नूडल्‍स जैसे भोजन बच्‍चों को कुपोषित बना रहे हैं

 

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।